कर रहे स्नातक की पढाई और हाथ आजमा रहे साइबर ठगी में
दिल्ली में डिजिटल अरेस्ट’ कर 14 लाख ठगे, दो पकडे गए। छोटे शहरों के अपेक्षाकृत कम पढ़े लिखे आम आदमी का क्या जबकि नयी दिल्ली में रिटायर्ड सरकारी कर्मचारी भी घर बैठे साइबर ठगी का शिकार बन जा रहे हों। उत्तरी दिल्ली में एक सेवानिवृत्त सरकारी कर्मचारी को ‘डिजिटल अरेस्ट’ के नाम पर साइबर ठगी […] The post कर रहे स्नातक की पढाई और हाथ आजमा रहे साइबर ठगी में first appeared on Apka Akhbar.

कर रहे स्नातक की पढ़ाई और हाथ आजमा रहे साइबर ठगी में
दिल्ली में एक चौकाने वाली घटना सामने आई है, जिसमें युवाओं ने स्नातक की पढ़ाई करते हुए साइबर ठगी में हाथ डालने की कोशिश की। 'डिजिटल अरेस्ट' के माध्यम से 14 लाख रुपये ठगने के आरोप में दो लोगों को पकड़ा गया है। यह घटना उत्तरी दिल्ली में हुई, जहां ठगी का शिकार एक सेवानिवृत्त सरकारी कर्मचारी भी हुआ है। यह घटना दिखाती है कि किस प्रकार युवा पीढ़ी साइबर अपराध की दुनिया में कदम रख रही है, खासकर उन जगहों पर जहां शिक्षा का स्तर अपेक्षाकृत कम है।
क्या है 'डिजिटल अरेस्ट'?
'डिजिटल अरेस्ट' एक नया तरीका है जो धोखाधड़ी करने वाले युवाओं ने विकसित किया है। इसमें उन्होंने व्हाट्सएप और सोशल मीडिया का उपयोग करके लोगों को भावनात्मक रूप से जोड़ने की कोशिश की। पीड़ित को बताया गया कि उनका कोई जुर्म है और उन्हें तुरंत पैसे भेजने होंगे, अन्यथा उन्हें गिरफ्तार कर लिया जाएगा। ये ठग इस नेटवर्क का इस्तेमाल करते हैं और युवा इस तरह की धोखाधड़ी में फंस जाते हैं।
छोटे शहरों में बढ़ती समस्या
यह समस्या केवल दिल्ली तक सीमित नहीं है। छोटे शहरों और कस्बों में भी ऐसे मामले बढ़ रहे हैं, जहां युवा रोजगार की तलाश में ऐसे घोटालों का हिस्सा बन रहे हैं। यह चिंताजनक है कि ऐसे मामलों में आम आदमी, जो पहले से पढ़ाई का लाभ नहीं उठा सका, अब साइबर ठगी का शिकार बन रहा है।
सरकारी कदम और उपाय
इस संदर्भ में, सरकार ने अपने स्तर पर कई कदम उठाए हैं। पुलिस ने साइबर ठगी के मामलों की अनुसंधान तेज किया है और कई जागरूकता शिविर भी आयोजित कर रही है। लेकिन क्या ये कदम पर्याप्त हैं? क्या हमें अपने बच्चों की शिक्षा के साथ-साथ उनके डिजिटल व्यवहार का भी ध्यान रखना चाहिए? शिक्षकों और अभिभावकों को यह बात समझने की आवश्यकता है कि शिक्षा केवल पाठ्यक्रम तक सीमित नहीं होनी चाहिए, बल्कि इसे एक नैतिक दायित्व भी बनाना चाहिए।
राष्ट्र की जागरूकता
यह सच है कि समुदायों में जागरूकता बढ़ाना आवश्यक है। युवा छात्रों को समझाना होगा कि साइबर ठगी का हिस्सा बनना उनके भविष्य को प्रभावित कर सकता है। उन्हें यह सीखने की आवश्यकता है कि किस प्रकार ये ऑनलाइन फ्रॉड उनके करियर और व्यक्तिगत जीवन को प्रभावित कर सकते हैं।
अंत में, यह कहना उचित होगा कि हमारी नई पीढ़ी को शिक्षा के साथ-साथ साइबर सुरक्षा के सिद्धांतों का पालन करना सिखाना आवश्यक है। इस दिशा में ठोस कदम उठाते हुए, हम एक सुरक्षित डिजिटल वातावरण की ओर अग्रसर हो सकते हैं।
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लेखिका: प्रिया शर्मा, सुमन वर्मा, टीम theoddnaari