उत्तराखंड पेपर लीक प्रकरण: सरकार ने गठित की एसआईटी, जांच से मिलेगा नकल माफियाओं का सफाया
उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग (यूकेएसएसएससी) की स्नातक स्तरीय परीक्षा के प्रश्नपत्र कथित तौर पर लीक होने को लेकर प्रदर्शनों के बीच राज्य सरकार ने मामले की जांच के लिए बुधवार को उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश की निगरानी में एक विशेष अन्वेषण दल (एसआईटी) गठित की। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने चेतावनी देते हुए कहा कि उनकी सरकार नकल जिहादियों को मिट्टी में मिलाने तक चैन से नहीं बैठेगी। अधिकारियों ने बताया कि पांच सदस्यीय एसआईटी का गठन 21 सितंबर को हुए इस मामले की विवेचना कर रही देहरादून की पुलिस अधीक्षक (ग्रामीण) जया बलूनी की अध्यक्षता में किया गया है। इससे पहले, प्रदेश के मुख्य सचिव आनंद बर्धन ने यहां एक संवाददाता सम्मेलन में एसआईटी गठित करने के निर्णय की जानकारी देते हुए कहा कि इसकी जांच के दायरे में पूरा प्रदेश होगा और यह एक माह में अपनी रिपोर्ट देगी। बर्धन ने कहा कि राज्य सरकार के लिए छात्रों का हित सर्वोपरि है और आम जनमानस और छात्रों में परीक्षा प्रणाली की विश्वसनीयता और शुचिता बनाए रखने के लिए यह निर्णय लिया गया। उन्होंने कहा कि मामले की निष्पक्ष और स्वतंत्र जांच के लिए यह भी निर्णय लिया गया है कि यह एसआईटी, उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश की पूर्ण निगरानी में कार्य करेगी। मुख्य सचिव ने कहा कि एसआईटी द्वारा यह जांच प्रक्रिया एक माह में पूर्ण की जाएगी। उन्होंने कहा कि जांच में दोषी पाए जाने वाले व्यक्तियों के खिलाफ कठोर कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने कहा कि भविष्य में ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति रोकने के लिए सभी आवश्यक कदम उठाए जाएंगे। मुख्य सचिव ने यह भी कहा कि राज्य सरकार हरिद्वार स्थित संबंधित परीक्षा केंद्र में तैनात कक्ष निरीक्षक या सुपरवाइजर या किसी भी अन्य उस व्यक्ति के खिलाफ भी कार्रवाई करेगी जिसकी लापरवाही की वजह से यह घटना हुई। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार, यूकेएसएसएससी से भी अनुरोध करेगी कि जब तक यह जांच पूरी न हो तब तक के लिए इस परीक्षा के संबंध में आगे कोई कार्यवाही न की जाए। आयोग द्वारा रविवार को आयोजित स्नातक स्तरीय प्रतियोगी परीक्षा के प्रश्नपत्र के तीन पन्नों की फोटो के ‘स्क्रीनशॉट’ सोशल मीडिया पर सामने आए थे, जिनमें फोटो लिए जाने का समय परीक्षा शुरू होने के कुछ ही देर बाद का दिखाई दे रहा था। इस मामले में पुलिस ने परीक्षा में अभ्यर्थी के रूप में शामिल हुए मुख्य आरोपी खालिद मलिक और उसकी बहन साबिया को हरिद्वार से गिरफ्तार किया है। पुलिस के अनुसार, खालिद ने हरिद्वार में पथरी क्षेत्र के बहादरपुर जट गांव में स्थित आदर्श बाल सदन इंटर कॉलेज में बनाए गए परीक्षा केंद्र से प्रश्नपत्र की फोटो खींचकर अपनी बहन साबिया को भेजी थी जिसने टिहरी की एक सहायक प्रोफेसर सुमन को वे प्रश्न भेजकर उनके उत्तर हासिल किए। इसी दौरान सुमन को उन प्रश्नों पर शक हुआ जिसके बाद उसने उनके स्क्रीनशॉट लेकर एक अन्य व्यक्ति से यह जानकारी साझा की जिसने पुलिस या किसी सक्षम अधिकारी के पास जाने की बजाय उसे सोशल मीडिया पर अपलोड कर दिया जिससे वे प्रसारित हो गए। उधर, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के एक कार्यक्रम में मुख्यमंत्री ने राज्य में एक षड्यंत्र के तहत संगठित रूप से ‘नकल जिहाद’ छेड़ने का प्रयास किये जाने का आरोप लगाते हुए चेताया कि उनकी सरकार ‘नकल जिहादियों’ को मिट्टी में मिलाने तक चैन से नहीं बैठेगी। उन्होंने कहा, ‘‘युवाओं के भविष्य को अंधकार में धकेलने के लिए संगठित होकर पेपर लीक कराने के षड्यंत्र रचे जा रहे हैं। कोचिंग माफिया और नकल माफिया एक होकर राज्य में ‘नकल जिहाद’ छेड़ने का प्रयास कर रहे हैं। जांच से पहले ही प्रदेश में अराजकता फैलाने का प्रयास कर रहे हैं।’’ उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा, ‘‘लेकिन मैं उन सभी नकल माफियाओं और जिहादियों को बता देना चाहता हूं कि हमारी सरकार राज्य में नकल माफियाओं को जब तक मिट्टी में नहीं मिला देगी तब तक हम चैन से नहीं बैठेंगे।’’ धामी ने कहा कि राज्य में नकल माफिया पर अंकुश लगाने के लिए सख्त नकल विरोधी कानून लागू किया गया जिसके बाद पिछले चार वर्षों में 25 हजार से अधिक युवाओं को सरकारी नौकरी दी गयी है। उन्होंने कहा कि राज्य बनने के बाद 21 साल में केवल 16 हजार लोगों को नौकरियां मिली थीं। हालांकि, मुख्यमंत्री ने कहा कि कुछ लोगों को यह रास नहीं आ रहा कि युवाओं का उनकी योग्यता, क्षमता और प्रतिभा के आधार पर सरकारी नौकरी में चयन हो। उन्होंने यह भी कहा कि नकल विरोधी कानून के लागू होने के बाद 2022 से लेकर अब तक 100 से अधिक नकल माफियाओं को जेल की सलाखों के पीछे पहुंचाया गया है। उधर, मामले के सामने आने के बाद से बेरोजगार संघ से जुड़े युवाओं का मामले को लेकर यहां प्रदर्शन और धरना जारी है जो दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग कर रहे हैं। मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस ने प्रकरण की केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) से जांच की मांग को लेकर शुक्रवार को धरना देने का कार्यक्रम तय किया है। प्रदेश कांग्रेस के वरिष्ठ उपाध्यक्ष, संगठन, सूर्यकांत धस्माना ने आरोप लगाया कि एक तरफ जहां आक्रोशित युवा सड़कों पर हैं, वहीं दूसरी ओर भाजपा और उसकी सरकार पेपर लीक प्रकरण को नकल जिहाद का नाम दे रही है। धस्माना ने कहा कि प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष करण माहरा के निर्देश पर 26 सितंबर को प्रकरण की सीबीअआई जांच की मांग को लेकर पार्टी प्रदेश भर में जिला मुख्यालयों पर धरना आयोजित करेगी।

उत्तराखंड में पेपर लीक प्रकरण: राज्य सरकार ने एसआईटी का गठन किया
कम शब्दों में कहें तो उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग (यूकेएसएसएससी) की स्नातक स्तरीय परीक्षा के प्रश्नपत्र लीक होने की घटना से उत्पन्न विवादों के बीच राज्य सरकार ने जांच के लिए एक विशेष अन्वेषण दल (एसआईटी) का गठन किया है। यह दल उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश की निगरानी में कार्य करेगा।
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मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने नकल माफियाओं के प्रति कड़ी चेतावनी दी है, जिसमें उन्होंने कहा कि उनकी सरकार तब तक चैन से नहीं बैठेगी जब तक कि नकल जिहादियों को मिट्टी में नहीं मिला दिया जाता। घटनाक्रम के अनुसार, यह पाँच सदस्यीय एसआईटी देहरादून की पुलिस अधीक्षक (ग्रामीण) जया बलूनी की अध्यक्षता में गठित की गई है।
जांच की प्रक्रिया और समयसीमा
मुख्य सचिव आनंद बर्धन ने अपनी प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया कि यह एसआईटी एक माह में अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करेगी और इस जांच में राज्य के सभी संबंधित मामलों को शामिल किया जाएगा। बर्धन ने उल्लेख किया कि छात्रों का हित राज्य सरकार के लिए सर्वोपरि है और परीक्षा प्रणाली की विश्वसनीयता बनाए रखना आवश्यक है। उन्होंने यह भी कहा कि यह एसआईटी उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश के पूरी तरह से निगरानी में कार्य करेगी।
दोषियों के खिलाफ कठोर कार्रवाई की जाएगी
बर्धन ने स्पष्ट किया कि जांच में यदि किसी को दोषी पाया गया, तो उसके खिलाफ कठोर कार्रवाई की जाएगी। भविष्य में ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति रोकने के लिए भी सभी प्रावधान किए जाने का आश्वासन दिया गया। राज्य सरकार की योजना है कि हरिद्वार स्थित परीक्षण केंद्र के कक्ष निरीक्षक और सुपरवाइजर जैसे संबंधित व्यक्तियों के खिलाफ भी कार्रवाई की जाएगी, जिन्होंने इस लीक में कोई भूमिका निभाई थी।
पेपर लीक प्रकरण का घटनाक्रम
रविवार को आयोजित स्नातक स्तरीय प्रतियोगी परीक्षा के प्रश्नपत्र के तीन पन्नों की फोटो सोशल मीडिया पर वायरल हुई थी, जिसमें फोटो परीक्षा शुरू होने के बाद ही खींची गई थी। पुलिस ने मुख्य आरोपी खालिद मलिक और उसकी बहन साबिया को गिरफ्तार किया है, जिन्होंने एक परीक्षा केंद्र से प्रश्नपत्र की फोटो खींची थी। ये प्रश्न टिहरी की सहायक प्रोफेसर सुमन को भेजे गए, जिसने बाद में इस पर शक किया।
राजनीतिक प्रतिक्रिया
भाजपा सरकार ने इस पेपर लीक को ‘नकल जिहाद’ का नाम दिया है। मुख्यमंत्री धामी ने कहा कि युवाओं के भविष्य के साथ खिलवाड़ हो रहा है, और नकल माफियाओं के खिलाफ सख्त कदम उठाए जाएंगे। धामी ने कहा कि पिछले चार वर्षों में 25,000 से अधिक युवाओं को सरकारी नौकरी दी गई है और यह एक महत्वपूर्ण बदलाव है।
दूसरी ओर, विपक्षी दल कांग्रेस ने इस मामले की सीबीआई जांच की मांग की है। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष करण माहरा के निर्देश पर पार्टी ने 26 सितंबर को धरने का आयोजन किया है। उन्होंने मुख्यमंत्री पर आरोप लगाया कि भाजपा इस महत्वपूर्ण मामले को हल्का कर रही है।
युवाओं की नाराजगी और प्रदर्शन
बेरोजगार संघ से जुड़े युवाओं ने इस प्रकरण के खिलाफ धरना प्रदर्शन जारी रखा है। यह प्रदर्शन इस बात का संकेत है कि छात्रों और युवाओं में सरकार की नीति और कार्यप्रणाली के प्रति गहरी नाराजगी है।
इस प्रकार, उत्तराखंड के इस पेपर लीक प्रकरण ने न केवल राज्य सरकार के लिए एक चुनौती खड़ी की है, बल्कि यह युवाओं के भविष्य पर भी सवाल उठाता है। समय ही बताएगा कि एसआईटी की रिपोर्ट किन नए तथ्यों को उजागर करेगी और नकल माफियाओं के खिलाफ किस तरह की कार्रवाई की जाएगी।
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— टीम द ऑड नारी (नंदिनी शर्मा)