इंसानियत मंच ने स्वतंत्र पत्रकारिता पर बढ़ते दबाव की निंदा की

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इंसानियत मंच ने स्वतंत्र पत्रकारिता पर बढ़ते दबाव की निंदा की

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अविकल उत्तराखंड

देहरादून। उत्तराखंड इंसानियत मंच ने कहा है कि किसी भी लोकतांत्रिक समाज की आत्मा उसके स्वतंत्र, निष्पक्ष और निडर मीडिया में निहित होती है।

बीते सप्ताह पत्रकार राहुल कोठियाल द्वारा निर्मित एक वीडियो — जिसमें उत्तराखंड सरकार के विज्ञापन खर्चों पर विश्लेषण प्रस्तुत किया गया था — को कॉपीराइट शिकायत के आधार पर यूट्यूब से हटाया गया, जिससे अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर गंभीर प्रश्न उठे हैं।

विवादित वीडियो में एक न्यूज चैनल के सात सेकंड के क्लिप का उपयोग किया गया था।
मंच का मत है कि कॉपीराइट कानून का उद्देश्य रचनात्मक अधिकारों की रक्षा है, न कि असहमति के स्वरों को दबाने का उपकरण बनना चाहिए। यदि कॉपीराइट को अभिव्यक्ति को नियंत्रित करने के साधन के रूप में इस्तेमाल किया जाता है, तो यह न केवल पत्रकारिता की स्वायत्तता बल्कि लोकतांत्रिक संवाद की बुनियाद पर भी प्रहार है।

मंच ने यह भी कहा कि पूर्व में स्वतंत्र पत्रकार त्रिलोचन भट्ट, जो इंसानियत मंच से जुड़े हैं, के साथ भी इसी प्रकार की कार्रवाई की गई थी, जो निंदनीय है।

मंच ने यूट्यूब और संबंधित संस्थाओं से मांग की है कि इस प्रकरण की निष्पक्ष और सार्वजनिक समीक्षा की जाए, ताकि भविष्य में किसी स्वतंत्र पत्रकार को डिजिटल मंचों पर अनुचित दबाव का सामना न करना पड़े।

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