पाकिस्तान के परमाणु ठिकाने पर हमले से क्या रेडिएशन लीक हुआ? IAEA ने जानें बयान में क्या कहा
वैश्विक परमाणु निगरानी संस्था, अंतर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (IAEA) ने पुष्टि की है कि भारत के साथ हाल ही में हुए सैन्य संघर्ष के दौरान पाकिस्तान में किसी भी परमाणु सुविधा से कोई विकिरण रिसाव या उत्सर्जन नहीं हुआ था। आईएईए का यह बयान सोशल मीडिया पर व्यापक रूप से प्रसारित दावों के जवाब में आया है कि ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भारतीय सशस्त्र बलों द्वारा पाकिस्तान की परमाणु सुविधाओं को निशाना बनाया गया और उन्हें नुकसान पहुंचाया गया। इसे भी पढ़ें: मोदी जी पानी दे दो! वॉटर बम से पाकिस्तान हुआ बेदम, पत्र लिखकर फिर मांगी भीख, अब क्या है भारत का प्लान?आईएईए के प्रवक्ता ने कहा कि आईएईए के पास उपलब्ध जानकारी के आधार पर, पाकिस्तान में किसी भी परमाणु केंद्र से कोई विकिरण रिसाव या उत्सर्जन नहीं हुआ है। इससे पहले, वायु सेना के महानिदेशक, एयर मार्शल एके भारती ने 12 मई को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में उन रिपोर्टों का खंडन किया था, जिनमें दावा किया गया था कि भारत ने किराना हिल्स को निशाना बनाया है। उन्होंने कहा कि हमें यह बताने के लिए धन्यवाद कि किराना हिल्स में कुछ परमाणु प्रतिष्ठान हैं। हमें इसके बारे में पता नहीं था। और हमने किराना हिल्स को निशाना नहीं बनाया है, चाहे वहां कुछ भी हो। भारत के हमलों ने सरगोधा में एक एयरबेस को निशाना बनाया और कुछ रिपोर्ट्स में कहा गया कि यह बेस किराना हिल्स में एक भूमिगत परमाणु भंडारण सुविधा से जुड़ा हुआ है।इसे भी पढ़ें: मैंने कोई मध्यस्थता नहीं कराई, भारत-पाकिस्तान सीजफायर वाले बयान से ट्रंप का U-टर्नसरगोधा एयरबेस और किराना हिल्स के बीच की दूरी लगभग 18 से 20 किलोमीटर है। विशेषज्ञ ने कहा कि अगर भूमिगत भंडारण बंकरों के प्रवेश द्वार बंद कर दिए जाते हैं, तो पाकिस्तान को अपने परमाणु शस्त्रागार को बाहर निकालना मुश्किल हो जाएगा, जिसमें विखंडनीय सामग्री और वारहेड शामिल हैं। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने भी अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के दोनों देशों के बीच परमाणु संघर्ष को टालने के दावों को खारिज कर दिया। उन्होंने कहा कि भारत की सैन्य कार्रवाई पारंपरिक क्षेत्र में थी और उन्होंने परमाणु युद्ध की अटकलों को खारिज कर दिया।

पाकिस्तान के परमाणु ठिकाने पर हमले से क्या रेडिएशन लीक हुआ? IAEA ने जानें बयान में क्या कहा
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वैश्विक परमाणु निगरानी संस्था, अंतर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (IAEA) ने हाल ही में एक महत्वपूर्ण बयान जारी किया है। इस बयान में बताया गया है कि भारत और पाकिस्तान के बीच हाल के सैन्य संघर्ष के दौरान पाकिस्तान के किसी भी परमाणु ठिकाने से कोई विकिरण रिसाव या उत्सर्जन नहीं हुआ। इस खबर के आने के साथ ही कई सोशल मीडिया रिपोर्ट्स के दावों का खंडन किया गया है कि भारतीय सेना ने ऑपरेशन सिंदूर के तहत पाकिस्तान की परमाणु सुविधाओं को निशाना बनाया और उन्हें नुकसान पहुंचाया।
IAEA का अन्वेषण और उनके निष्कर्ष
IAEA के प्रवक्ता ने स्पष्ट किया कि एजेंसी को विश्वसनीय जानकारी उपलब्ध है, जिससे यह सिद्ध होता है कि पाकिस्तान में सभी परमाणु सुविधाएँ सुरक्षित हैं और किसी भी प्रकार का विकिरण लीक नहीं हुआ है। इस पर एयर मार्शल एके भारती ने भी प्रेस कॉन्फ्रेंस में उन रिपोर्टों का खंडन किया था जो यह बता रही थीं कि भारत ने किराना हिल्स को निशाना बनाया था। उन्होंने अशुद्ध जानकारी को लेकर कहा कि हमें इस बात की जानकारी नहीं थी कि किराना हिल्स में कोई परमाणु प्रतिष्ठान है।
क्या भारत ने किया हमला?
भारत के हमलों ने मुख्य रूप से सरगोधा के एक एयरबेस को निशाना बनाया, जहाँ यह बताया गया कि यह बेस किराना हिल्स में स्थित एक भूमिगत परमाणु भंडारण सुविधा से जुड़ा हुआ है। यह दूरी लगभग 18 से 20 किलोमीटर है, जिससे पता चलता है कि यदि सुविधाएँ सुरक्षित हैं और उनके प्रवेश द्वार बंद कर दिए गए हैं, तो पाकिस्तान के लिए अपने परमाणु शस्त्रागार को बाहर निकालना मुश्किल हो जाएगा।
अंतर्राष्ट्रीय प्रतिक्रियाएँ
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने भी अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के परमाणु संघर्ष को टालने के दावों को खारिज किया। उन्होंने कहा कि भारत की सैन्य कार्रवाई पारंपरिक क्षेत्र में थी और उन्होंने किसी भी प्रकार के परमाणु संघर्ष की संभावना को नकारा। इस तरह की प्रवृत्तियों पर एक नजर डालना जरूरी है, क्योंकि यह दर्शाता है कि तकनीकी और रणनीतिक दृष्टिकोणों का महत्व कितना बढ़ता जा रहा है।
निष्कर्ष
इस घटनाक्रम से पता चलता है कि जब हम सैन्य कार्रवाइयों की बात करते हैं, तो वास्तविकता और प्रचार का फर्क कितना व्यापक हो सकता है। IAEA का बयान एक महत्वपूर्ण सुरक्षा आश्वासन प्रदान करता है और यह बताता है कि वैश्विक स्तर पर परमाणु सुरक्षा का मुद्दा कितना संवेदनशील है। अंतर्राष्ट्रीय संस्थाओं की निगरानी इस दिशा में अत्यंत आवश्यक है ताकि हम वैश्विक शांति को बनाए रख सकें।
हमें यह समझना चाहिए कि सभी देशों के बीच संवाद और सहमति आवश्यक है, ताकि इस प्रकार के संकट उत्पन्न न हों। आगे चलकर हमें ध्यान देने की आवश्यकता है कि पाकिस्तान में परमाणु स्थलों की सुरक्षा को लेकर क्या सुझाव दिए जाते हैं।
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