बेटे की नाफरमानी पर डीएम ने रद्द की गिफ्ट डीड
The post बेटे की नाफरमानी पर डीएम ने रद्द की गिफ्ट डीड appeared first on Avikal Uttarakhand. फैसला- बुजुर्ग दंपति को लौटाई संपत्ति पहली सुनवाई में ही मिला न्याय, भरणपोषण अधिनियम की विशेष शक्तियों का प्रयोग अविकल उत्तराखण्ड देहरादून। बुजुर्ग माता-पिता को घर से बाहर निकालकर संपत्ति… The post बेटे की नाफरमानी पर डीएम ने रद्द की गिफ्ट डीड appeared first on Avikal Uttarakhand.

बेटे की नाफरमानी पर डीएम ने रद्द की गिफ्ट डीड
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Written by Neha Sharma, Anjali Verma, and Priya Joshi, Team theoddnaari
एक अहम निर्णय: बुजुर्ग दंपति को संपत्ति वापस मिली
देहरादून। उत्तराखंड में एक अद्वितीय मामला सामने आया है जब जिले के जिलाधिकारी सविन बंसल ने एक बेटे की नाफरमानी के चलते उसके नाम की गई गिफ्ट डीड को रद्द कर दिया। इस निर्णय ने साबित किया है कि अभियोजन प्रक्रिया में प्रशासन कितनी तात्कालिकता और संवेदनशीलता बरतता है। यह मामला तब हंगामे का विषय बना जब बेटे ने अपने बुजुर्ग माता-पिता को घर से निकालकर संपत्ति हड़पने की कोशिश की।
भरणपोषण अधिनियम के शक्तियों का प्रयोग
इस मामले में बुजुर्ग दंपति, परमजीत सिंह और उनकी पत्नी अमरजीत कौर, ने अपनी संपत्ति अपने बेटे गुरविंदर सिंह के नाम गिफ्ट डीड की थी। हालांकि, यह गिफ्ट डीड कुछ शर्तों के अधीन थी। बेटे को माता-पिता के भरण-पोषण का पालन करना था और उन्हें घर से निकालना नहीं था। लेकिन जिस दिन बेटे को संपत्ति का स्वामित्व मिला, उसी दिन उसने इन शर्तों का उल्लंघन करना शुरू कर दिया। माता-पिता को घर से निकालने के साथ-साथ, उसने पोते-पोतियों से भी मिलने से रोक दिया।
बुजुर्ग दंपति का संघर्ष
बुजुर्ग दंपति ने इस अन्याय के खिलाफ उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया, क्योंकि तहसील और निचली अदालतों से उन्हें कोई राहत नहीं मिल रही थी। डीएम कार्यालय में पहली सुनवाई के दौरान, बेटे की अनुपस्थिति ने उसकी स्थिति को कमजोर कर दिया। जिलाधिकारी ने सुनवाई के दौरान उचित कारणों की जांच की और पाया कि बेटे ने अपने कर्तव्यों और शर्तों का पालन नहीं किया।
फैसले का महत्व
जिलाधिकारी ने उन शर्तों के उल्लंघन को देखते हुए तुरंत गिफ्ट डीड रद्द कर दी और संपत्ति वापस बुजुर्ग दंपति के नाम करने का आदेश दिया। सरकारी रजिस्ट्री कार्यालय ने आदेश का त्वरित पालन कराया, जिससे बुजुर्ग दंपति को उनकी खोई हुई संपत्ति वापस मिली। इस फैसले ने न केवल उनके लौटने का रास्ता खोला, बल्कि यह भी दर्शाया कि भारतीय न्याय प्रणाली बुजुर्गों के अधिकारों की रक्षा के लिए कितनी तत्पर है।
निष्कर्ष
यह मामला समाज में एक महत्वपूर्ण संदेश देता है कि बुजुर्गों और असहाय लोगों के अधिकारों की रक्षा के लिए प्रशासन को सक्रिय होना चाहिए। डीएम सविन बंसल द्वारा किया गया यह निर्णय न केवल न्याय की जीत है, बल्कि समाज में संवेदनशीलता और सहानुभूति का भी प्रतीक है। ऐसे निर्णय भविष्य में भी बुजुर्गों के प्रति समाज के खिलाफ अन्याय को कम करने में मदद करेंगे।